Wednesday, November 30, 2011

Bird Whisperer

विकट बुद्धि III  

एक बार हुआ यूँ की हम सब ऑफिस के कैफेटेरिया में बैठ कर गप्प मार रहे थे , हमेशा की तरह |
और हमेशा की तरह हमारा विषय विकट बुद्धि की इर्द्द गिर्द्द था | कैफेटेरिया ऑफिस की पांचवी मंजिल पर है और उसकी दीवारें शीशे की बनी हुई है, आप हाथ में एक कप गरमागरम कॉफी ले कर दूर तक बंगलोर का लुफ्त उठा सकते है |
मैंने विकट बुद्धि से एक सवाल पुछा -"कौन सी चिड़िया उड़ नहीं सकती ?"

उसने हँसते हुए कहाँ -"बहुत ही आसन है|"
"तो फिर बताने में इतना समय क्यूँ ?"
"कौन सी बड़ी बात है , मैं यह सब याद नहीं रखता हूँ , क्यूंकि मेरे पास Google Power है "
टेबल पर बैठे मेरे मित्र ने उसकी टांग खीचते हुए कहा -"ओए तू तो non veg है ना, फिर इतना वक़्त क्यूँ?"
उसने ज़वाब दिया -"मेरे non veg खाने से उसका क्या?..."
"क्यूँ खाते वक़्त याद नहीं रहता की क्या खा रहे हो ?"
"खैर वो छोड़ो , यह बताओ , तुम कैसे याद रखते हो इतना कुछ?"
"किसी चिड़िया को चलते हुए देखो हो "
............
इन सब बातों से विकट बुद्धि अपना सर खुजाने लगा, मैं टेबल से उठ कर दूसरी चाय का कप बनाने लगा |
दुसरे मित्र ने कहा -"यार तुने कभी स्कूल में पढाई लिखाई की है क्या , तेरे को कुछ पता क्यों नहीं है ?"
वो अभी भी सर खुजा रहा था | खुजाते हुए कहा - "वो मैं भूल गया |"
मैंने  कहा - "कभी Chicken Lollypop खाया है?"
"उसमे क्या है "
"किस चीज़ से बनता है?"
"मुर्गी "
"या फिर मुर्गा ?"
"हाँ , तो? "
"वो क्या होता है?"
"जानवर "

ठीक इसी समय , कैफेटेरिया की कांच की दीवार से किस्सी के टकराने की आवाज़ आई, पता चला की एक उडती चिड़िया शीशे की दीवार से टकरा गयी थी |

बेचारी गौरेया |

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