विकट बुद्धि IV
एक बार हम सब ऑफिस के दोस्त लोग मेरी गाड़ी में जा रहे थे , और हमेशा की तरह मेरी गाड़ी में ९४.३ Radio one चैनल ऑन था | मैं यह चैनल इसीलिए सुनता हूँ की यह एकमात्र हिंदी चैनल है और गाने भी अच्छे होते है |
एक बार हम सब ऑफिस के दोस्त लोग मेरी गाड़ी में जा रहे थे , और हमेशा की तरह मेरी गाड़ी में ९४.३ Radio one चैनल ऑन था | मैं यह चैनल इसीलिए सुनता हूँ की यह एकमात्र हिंदी चैनल है और गाने भी अच्छे होते है |
विकट बुद्धि ने पीछे की सीट पर बैठे बैठे पुछा -"तुम यह चैनल ही क्यूँ सुनते हो?"
मैंने ज़वाब दिया-"क्यूंकि यह अच्छा है, और कोई विकल्प है क्या?"
"मुझे पता नहीं, तुम क्या बोलते हो?"
"मेरे हिसाब से यह बेहतर है "
"दूसरा चैनल क्यूँ नहीं तरी करते, बचपन में हमलोग antenna घुमा कर दूसरा चैनल को पकड़ लेते थे "
मेरे मित्र ने टिपण्णी की -"बचपन में तो सिर्फ DD1 हुआ करता था |"
"हाँ पर, हमलोग antenna से नए चैनल पकड़ लेते थे , और हमारे टीवी में वो घुस जाता था "
मैंने हँसते हुए कहा-"यह तो गैरकानूनी है|"
"क्या बात करते हो, वैसे भी कौन police को बोलेगा? वो छोड़ो यह सुनो - आजकल तो antenna ही नहीं होता है |"
"अच्छा ! फिर चैनल कैसे आता है?"
"आजकल तो Direct अन्दर घुस जाता है, जब मर्ज़ी तब बदल डालो |"
यह सुन कर कोई भी अपनी हँसी रोक ना सका | उसने पहले ही अपने बचाव में कहा -"क्या बात करते हो!"
हँसी तो रुकने का नाम नहीं ले रही थी ,
अचानक से पता नहीं क्यूँ मैंने चैनल change किया तो -
"अजी हमसे बचकर कहाँ जाइएगा
जहां जाइएगा हमे पाइयेगा
अजी हमसे बचकर.. "
-© 2011 सत्य घटना पर आधारित
-© 2011 सत्य घटना पर आधारित
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