विकट बुद्धि XVI
आजकल शादियों का मौसम है, सारे हमउम्र जो इससे बचे हुए है खुद ही मुकाम की तालाश में एकजुट हैं | विकट भी शायद अपने एकांकीपन के विषय को ले कर पता नहीं कितनी बार कोशिश कर चुके हैं |
ऐसे ही एक कोशिश से रु-ब-रु होकर जब वो ऑफिस आया तो उसके चेहरे पर एक सुनहरी चमक थी| हम समझ ना पाएं, आखिर बात क्या है |
इससे पहले की हम कुछ पहल करते , विकट खुद ही बोल पड़ा - "मैं कल एक मीटिंग पर गया था "
हम सबने एक साथ कहा - "हम्म्म "
हमें और इस बारे में जानना था , एकटक देखते रहे | उसने हमें वो सब बताया जो सामान्य तौर पर बताया जाता है , जैसे लड़की अच्छी लगी , हमने बातें की , वैगेरह वैगेरह
मैंने पुछा "कॉफी पर गए थे या उसको चाय ही पिला दिया "
"कैसी बात करते हो , चाय कॉफ़ी तो सब एक ही है "
"हिंदी मूवी नहीं देखते हो क्या? "
"उसमे क्या है , जो पीना है पियो , मैंने बात की "
"पहली बार , लड़की से ?"
झेंप गया वो|
मेरे एक दोस्त ने पुछा , "क्या पहन कर गए थे, आखिर First Impression is the last impression"
"मैं १५०० रुपैए का शर्ट पहना था "
"और नीचे "
"नीचे कुछ भी पहन लो , क्या फर्क पड़ता है "
"क्यूँ , लुंगी या मुंडू "
जानकारी के लिए बता दूँ , मुंडू सफ़ेद रंग की लुंगी को कहते है , यह केरल में अत्यधिक प्रचलित है |
"वो छोड़ो , हमेशा की तरह काला वाला पैंट पहना था, धारियों वाली "
वो इतने व्यौरेवार वर्णन (Detail) में जिक्र करने लगा की किसी ने मज़ाक में पूछ डाला - "और उसके नीचे किस रंग की चड्डी पहनी थी , वो भी बता दे "
"उसने कहा - ब्लू " वैसे उसका इशारा नीले रंग की शर्ट पर था , शायद ख़ुशी में सुनायी भी कम देता है |
जब हमने बोला की- " Superman तो लाल रंग का पहनता है और वो भी ऊपर " तब जाकर उसे समझ में आया की हमारा प्रश्न शर्ट की ओर नहीं था |
पर हमने अपनी हँसी का बेहिसाब नियंताश पूरा कर लिया आज|
-© 2011 सत्य घटना पर आधारित
-© 2011 सत्य घटना पर आधारित
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