बारिश ने सुबह से
सारे रास्ते भींगा रखे है
कई दिनों से दिल
भी तंग गलीयों से है
आखिर मैंने पत्थर
रख कर सोच लिया
आज सारे रखे याद
में आग लगा दूँ
पता नहीं मौसम को
मुझसे से क्यूँ है गिला
माचिस की तीलियाँ
भी सील चुकी है |
-सौरभ राज शरण
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