Sunday, November 18, 2012

बारिश

मुसलाधार बारिश कल रात की 
सड़को पर खेलीं है आँख मिचौली 
कुछ गड्ढे भर गए हैं , जिसमें 
नीले आकाश की दिखाई देती प्रतिबिम्ब  
तुम्हारी याद दिलाती है मैली |
सोच कर रुक सा गया था, 
कुछ गिले धुंधले बादल छा गए 
फिर से गरज बरसने को तैयार |
इतने में एक गुजरती साईकल ने 
उमड़ने से पहले ही रौंद गया 
उस अक्स के ठीक बीचोबीच 
चीरता हुआ, क्षण्भंगुरी था मैं 
फिर से ज़मीन पर आ गया 
अपने कपड़ो को बचाते हुए,
संभल कर चलना होगा अब ।
Abstract Bubbles

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