बच्चों सी ज़िद है उनकी
हमेशा से एक जैसी ,
इस बार एक और नयी |
मेरी भी ज़िद है
उनकी हर ज़िद पूरी करने की,
निकला इसी चाहत में |
सुबह से देख रहा हूँ
पीले फूलों को झरते हुए ,
सड़कों और छत्तों पर |
लगता है एक नया मौसम
हल्क़े से मुस्कुराते हुए ,
दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है |
सौरभ राज शरण
२५ फ़रवरी २०११
This website and its content is copyright of सौरभ राज शरण © 2012.
कॉपीराइट © सौरभ राज शरण
All Rights Reserved.
This website and its content is copyright of सौरभ राज शरण © 2012.
कॉपीराइट © सौरभ राज शरण
All Rights Reserved.
No comments:
Post a Comment