Friday, February 25, 2011

पीले फूलों की दस्तक

बच्चों सी ज़िद है उनकी 
हमेशा से एक जैसी ,
इस बार एक और नयी |
मेरी भी ज़िद है 
उनकी हर ज़िद पूरी करने की,
निकला इसी चाहत में |

सुबह से देख रहा हूँ 
पीले फूलों को झरते हुए ,
सड़कों और छत्तों पर |
लगता है एक नया मौसम
हल्क़े से मुस्कुराते हुए ,
दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है |

सौरभ राज शरण 
२५ फ़रवरी २०११




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